Saturday 28 November 2015

27ता के हमरा लोकनि पटना हवाई अड्डा सं गोविंद मिश्रजी के लैत दरभंगा बढलहुँ।संग मे इलाहाबाद के  एल आइ सी के रिटायर्ड अधिकारी अमिताभ जी छलाह। ओ प्रभास के (कु  चौधरी) संगी रहथि।आब देखू गुँजन जी हमरा लोकनि कतेक काल धरि पटना कौलेज आ 50 मार्क्स मैथिली क्लास मे बौऐलौ।साल मे तीने टा मात्र आनन्द मिश्र जी क क्लास लेब मोनिका पडल जाहि मे एक टा मे नन्दक नन्दन कदम्बक तरुतर पढौने छलाह दोसर मे चिकुर बहय जलधारा गाबि क पढौने छलाह आ तेसर मे टर्मिनल के रिजल्ट  सुनौने छलाह से सब मोन पाडै  जाई  गेलौ।
तबाही क्रम मे ईहो मोनिका पाडलौ जे हेतुकर जी ताहि दिन सदिकाल सूट बूट आ टाई मे रहै छलाह कार सं अबै छलाह कौलेज। हैंसी खुशी मे रास्ता कोनार्क कटल से की कहू । हमरा लोकनि 62 सं66 धरि विचरलौ

गोविंद मिश्र जी ने दोस्तोएवस्की सेलेकर सोल्झेनिस्तिन तक की चर्चा की।प्रेम बचेगा तो दुनिया बचेगी की धारणा को पुष्ट किया।

मै तो क्या अध्यक्ष थी? मैंने मैथिल मैथिली की अस्मिता का आवाहन मात्रकिया
महाराजा धिराज के उस उदास परिसर मे प्रेम भी था अस्मिता की रक्षा को उत्सुक विशुद्ध मैथिल भी थे जाति धर्म संकुल ता विहीन
दर असल गोविंद मिश्रजी का व्याख्यान था "हम जिन्दा क्यों है?"विषय बहुत व्यापक है और उन्होंने उसका बखूबी निर्वाह भी किया।

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