Tuesday 27 October 2015


खेतों मे बंदूके उगती गली गली मे बम बिकता है
आ मै तुझको सैर करा दूँ
घर मे घुसकर क्या लिखता है?

~ नागार्जुन

हजारों साल से इस भूखंड पर अवस्थित जिज्ञासु जन नाद स्वर अक्षर शब्द भाषा प्राप्त करते है।उत्तर पश्चिम से जल जमीन कीतलाश मेआए जन कृषि को सभ्यता माननेवाले जन वर्णाश्रम की व्यवस्था बनाते है शासन की आवश्यकता समझ राजत्व का सिद्धांत प्रतिपादित करते है।विकास के क्रम मे युद्धो से रेबरू होते है न तो ज्ञान का रथ रुकता है न चहुमुखी विकास।
राज का ईजाद जन के लिये होना फिर जन का राज मे बदल जाना चलता रहा।नीतियाँ बनी जो धर्म कहलाने लगी। आपद्धर्म भी बने।सबकुछ मनुष्य की सुविधा के लिये।पारचुर कृषि भूमि और जल की सुविधा वाला भूखण्ड देश कहलाया।शान्त, बुनियादी तौर पर युद्ध विरत सदा युद्ध झेलता रहा।धर्म रूढ़िवादी होता गया उसने आग का स्वरूप धारण कर लिया जिसमें समाहित होकर आनेवालो की पद्धतियाँ आग का रूप धारण कर चुके।
आगे आनेवालो नेभी पद्धति यही की सीख ली या ऐसा कहे यहाँ के होकर रह गये।19वी 20वी सदी तक आते आते अपने समयानुसार मुकम्मल समाज व्यवस्था तैयार हुई।संविधान बना जनतंत्रका आगाज हुआ।सामाजिक क्रांति पूरी हुई।
संवैधानिक रूप से सभी बराबर है।फिर क्यों नये सिरे से वैमनस्य को बढ़ावा देना।हमें हक समाज से चाहिये । हमें जो स्त्री है दलित है ।संविधान मे सबकुछ है कानून मे जो हक मिला है उसे अकारण समाज नही मानता।यदि मानता तो अनाचार अत्याचार न होता।
मैकहना चाहती हूँकि अपने सुचिन्तित सभ्यता को कोसे बिना सभी नागरिक आधुनिक भारत का सही समाज निर्मित करे।आत्मदीपो भव का वक्त है।